“ऋग्वेद से रोबोटिक्स तक सांस्कृतिक निरंतरता” : एक अद्भुत प्रदर्शनी ।
इस प्रदर्शनी के माध्यम से इतिहास को वैज्ञानिक रूप से प्रदर्शित किया गया है, जिसमे पिछले 10000 वर्षों से भारत में ही निरंतर विकसित होती वैदिक संस्कृति एवं सभ्यता को उजागर किया गया।
प्रदर्शनी में दिखाए #ऋग्वेद के खगोलीये सन्दर्भो के आकाशीय दृश्य 7000 - 6000 वर्ष ई पूर्व आकाश में देखे जा सकते थेI वाल्मीकीय रामायण के आकाशीय सन्दर्भों का सम्बन्ध 7000 वर्ष ई पूर्व से बताया गयाI श्री राम की जन्म तिथि 10 जनवरी 5014 वर्ष ई पूर्व से हनुमान के अशोक वाटिका में सीता जी से मिलने की तिथि 12 सितम्बर 5076 वर्ष ई पूर्व तक के क्रमिक आकाशीय दृश्य दिखाए गए हैI प्रदर्शनी में महभारत युद्ध के आरम्भ की तिथि 13 अक्टूबर 3139 वर्ष ई पूर्व दिखाई गयी है और सम्बंधित घटनाओ के 10 आकाशीय चित्र क्रम से दिखाये गए हैI
श्री #राम द्वारा वनवास के दौरान देखे गए 150 से अधिक स्थलों को दर्शाता मानचित्र देखें। दण्डक वन की वो गुफाएं देखें जिनमे 7000 वर्ष पुराने अनाज के दाने मिले हैं। इस प्रदर्शनी में आई - सर्व ने गंगा, सरस्वती, तथा सिंधु क्षेत्रों के पुरातात्विक उत्खननों को बखूबी दिखलाया है। उत्खनित सामग्री तथा कलाकृतियों मंय शामिल हैं बर्तन, आभूषण, खिलौने, अर्ध-कीमती पत्थर जिनका संबंध 9000 से 5000 वर्ष पहले की संस्कृति से है परन्तु आधुनिक काल तक निरंतरता भी स्पष्ट दिखायी देती है।
प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में आई-सर्व की निदेशिका श्रीमती सरोज बाला ने बताया कि 10 वर्ष तक वैज्ञानिक अनुसन्धान के पश्चात यह निष्कर्ष निकाला गया है कि #रामायणऔर महाभारत में उस युग की घटनाओं कि तिथियाँ निहित हैं तथा अनुवांशिक अध्ययनों ने सिद्ध किया है कि मध्य एशिया से किसी आर्यों का भारत में आगमन नहीं हुआ अपितु भारत के आर्य लोग पिछले 8000 वर्षो से विदेशो में जाते आते रहेI
सरस्वती की जगह सर्वन्दित महानदी का स्थान गंगा को कब, कैसे और क्यों मिला; इस प्रश्न का उत्तर तथ्यों के आधार पर दिखाया गया हैI सूर्यवंशी राजाओ की वंशावली में श्री राम के 63 पूर्वज तथा 59 अग्रजों के नाम शामिल हैI इस प्रदर्शनी के द्वारा अनुवांशिक अध्ययनों से सहसंबंध भी दिखाया गया है जो कि इस बात को झुठलाता है के भारत में कभी भी आर्यों का बाहर से आगमन हुआ।
सोनल मानसिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में भारत के प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों की बदतर हालत पर चिंता प्रकट की तथा विदेंशों में हिंदुत्व के बारे में फैलाय जाने वाले भ्रम को दूर करने के लिए समुचित प्रबंध करने की आवश्यकता पर जोर दिया I
भारत के संस्कृति व पर्यटन मंत्री श्री महेश शर्मा जी ने आई-सर्व के द्वारा आयोजित प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि प्रदर्शित वैज्ञानिक तथ्यों एवं साक्ष्यों के माध्यम से युवक युवतियों को विश्वास हो जायेगा कि रामायण तथा महाभारत कोई काल्पनिक उपन्यास नहीं है अपितु भारत की प्राचीन ऐतिहासिक घटनाओं का संकलन है।
श्री कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि आज से 100 वर्ष पहले ईसाई धारणा थी कि धरती की सरचना 4004 ई. पू. हुई और उसी समय के भीतर सब एतिहासिक घटनाओ को पिरो दिया गया I कौन सोच सकता था कि आज वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर ऋग्वेद से आज तक 10000 वर्षों की भारतीय संस्कृति की निरतरता सिद्ध हो जाएगी।
साभार : आई-सर्व
राजीव पाठक
+919910607093
अच्छा ज्ञानवर्धन
जवाब देंहटाएं