शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

मणिपुर में भी नए कानून की मांग !

राष्ट्रीय मीडिआ से गायब रहने वाले पूर्वोत्तर की सुर्ख़ियों से एक गंभीर समाचार मिल रहा है | मणिपुर में पिछले महीने भर से सरकार और स्थानीय संगठनों के बीच तना-तनी जारी है । 

इस बार मुद्दा इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit) का है । पूर्वोत्तर के तीन अन्य राज्य अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड में पहले से ही इनर लाइन परमिट लागू है । अभी पहले से लागू राज्यों में यह व्यवस्था हटाने की चर्चा शुरू ही हो रही थी, कि मणिपुर में इसे लागु करने के लिए राज्य सरकार पर दवाब बनाया जा रहा है ।
इनर लाइन परमिट वीजा के जैसा ही है । यदि आपको मिजोरम जाना है और आप मिजोरम के नागरिक नहीं हैं तो आपको दिल्ली स्थित मिजोरम हाउस या गुवाहाटी के मिजोरम हाउस में आवेदन देना होगा कि आप कितने दिनों के लिए और किस कारण से मिजोरम जा रहें हैं । जितने अवधि के लिए आपको पास मिला है उससे पूर्व आपको वहां से वापस लौटना होगा । लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा, कि यह नियम सिर्फ भारत के नागरिकों पर लागू होता है । यदि कोई विदेशी पर्यटक इन राज्यों में घूमने, पढ़ने या व्यापर करने के लिए आता है तो उसे इस प्रकार के किसी पास की जरुरत नहीं होती ।
यह व्यवस्था हाल-फ़िलहाल में नहीं बनी है । अंग्रेज के जमाने में योजना पूर्वक भारत के अन्य भागों से पूर्वोत्तर को अलग रखने के लिए कुछ नियम बनाये गए जिसको आधार मानकर यह कानून लागू किया गया ।
इस नियम का नुकसान भारत के एकता-अखंडता को है । इसका फायदा उन लोगों को है, जिसकी मनसा भारत में धर्मान्तरण, उग्रवाद और अराजकता का वातावरण बनाना है ।
मणिपुर में चल रहे आंदोलन के पीछे भी उग्रवादी संगठनों का हाथ है । समय रहते इसकी गंभीरता को समझना चाहिए नहीं तो केंद्र सरकार की पूर्वोत्तर को लेकर चिंता सिर्फ चिंता बनकर ही रह जाएगी |

-राजीव पाठक

+919910607093


इनर लाइन परमिट के बारे में विशेष जानकारी यहां उपलब्ध है -
http://en.wikipedia.org/wiki/Inner_Line_Permit

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