गुरुवार, 3 जून 2010

पूर्वोत्तर की वो खबर:जो सुर्खियाँ नहीं बन पाई!

ख़बरों को सुर्ख़ियों में किस बिनाह पर जगह मिलती है इसका गणित उस वक्त समझना कठिन हो जाता है जब दिल्ली के किसी ए.सी. में आग लगना ब्रेकिंग न्यूज बनता है,लेकिन मणिपुर में अब तक 34 निर्दोष हिंदी भाषियों की हत्या समाचार अंश भी नहीं बनता.
जी,ऐसे ही सैकड़ो समाचार जो देश के जनता तक सिर्फ इसलिए नहीं पहुँच पाती क्यों कि वो दिल्ली या मुंबई में घटित नहीं हुआ.यानि उस समाचार को दिखने या छापने से उनका टी.आर.पी. या सर्कुलेसन नहीं बढेगा इसीलिए वो महत्व का समाचार नहीं है.मेरे तुलना का मतलब ये कतई नहीं है कि दिल्ली या मुंबई के समाचार महत्व हीन है. बल्कि मै सिर्फ ये ध्यान कराना चाहता हूँ कि सुर्ख़ियों में नहीं रहने वाले खबर भी देश के पारिस्थितिकी को प्रभावित करता है,अतः इसकी जानकारी भी लोगों तक पहुंचनी चाहिए और ये जिम्मेदारी भी लोकतंत्र को मजबूती प्रदान कर रहे मिडिया का ही है.
कुछ महीनों से मै पूर्वोत्तर के विभिन्न क्षेत्रों में घूमते हुए यहाँ होने वाले छोटे-बड़े घटनाओं का साक्षी बनता रहता हूँ.और फिर इन घटनाओं के पीछे के सच्चाई को भी कमो-बेश समझने का कोशिश करता हूँ.लेकिन हजारों लोगों को प्रभावित करने वाले किसी घटना का देश कि जनता को भनक तक नहीं होती है.जिसकी जिम्मेदारी तो मिडिया की है.
>> आप को जान कर हैरानी होगी कि नार्थ-ईस्ट का कोई ना कोई भाग महिना में एक ना एक दिन बंद जरुर रहता है.इस समस्या के यहाँ के आम लोग मानो अभ्यस्त हो गए है.लेकिन सच पूछिये ये इन लोगो की मज़बूरी है.सरकार और सुरक्षाबल इनसे निपटने में क्यों अक्षम है? इसपर विद्वानों की कलम क्यों नहीं चलती.ये सब सुर्खिया क्यों नहीं बनती है?

>> दक्षिण असम और बंगलादेश से लगे सीमाओं से व असम के अन्य सीमाओं से लगातार घुसपैठ असम ही नहीं पूरे पूर्वोत्तर के सामाजिक,राजनीतिक,और आर्थिक गणित को बिगाड़ रहा है.यहा के मूलवासी अपने इज्जत बचाने में लगे है.कई इलाकों से अब जनप्रतिनिधि के रूप में भी बंगलादेशी चुने जा चुके है.आप को जान कर हैरानी होगी की असम का जन्म दर सामान्य है किन्तु जनसँख्या वृद्धि दर देश में सबसे ज्यादा है,यानि घुसपैठ सबसे ज्यादा.ये घुसपैठी यहाँ के समस्याओं का मूल कारण है किन्तु ये चर्चा का विषय नहीं है.

>> भारत का पहचान उसके गौरवशाली संस्कृति से होता है.लेकिन सतत चल रहे सेवा के नाम पर धर्मान्तरण और मूल पहचान खत्म करने की विदेशी षड़यंत्र को चिंता का विषय नहीं समझा जाता. लेकिन इसका परिणाम किसी भी भौगोलिक परिवर्तन के रूप में सामने आ सकता है.जब पुनः देश के विभाजन को हमें स्वीकार करना पड़ेगा.

>> देश के अन्य भागों के तरह पूर्वोत्तर में लोग पर्यटन या विचरण को नहीं आ पाते इसका भी कारण है. यहाँ के विविधता और सुन्दर सांस्कृतिक विरासत को अभी तक प्रचार प्रसार योग्य नहीं समझा गया है. और लोगो के कम आगमन का लाभ इन राष्ट्र विरोधियों को को मिलता है.

>> यातायात पर खर्चे के दृष्टि से पूर्वोत्तर भारत का सबसे महंगा क्षेत्र है. ये सत्य है की भौगोलिक संरचना के कारण इसको सुलभ बनाना थोडा कठिन है. लेकिन निर्माण का विरोध और बंद के कारण कुछ इलाकों में जरुरी सामान का दाम सामान्य से तीन गुणा तक रहता है.यथा मणिपुर में कुछ दिनों से रसोई गैस दो हजार तक और पेट्रोल दो सौ रुपये लीटर तक बिक रहा है. ऐसे ही कार्बीअन्लंग(असम) में पिछले कई महीनो से खाद्य सामग्रियों के दाम पाँच गुणा तक महंगा रहता है.जब कोई बंद हो तो इसमें और वृद्धि हो जाती है. इसका प्रतक्ष्य लाभ जमाखोरों और उग्रवादियों को होता है.

>> सामान्य जीवन के विकाश में भोजन,आवास,और वस्त्र जितना जरुरी है सायद आज उतना ही शिक्षा भी महत्वपूर्ण है.लेकिन जरा सोचिये मणिपुर के स्कुल 2009 में जुलाई से नवम्बर तक बंद रहा. लेकिन ये किसी राष्ट्रीय समाचार पत्र में आपने कितनी बार पढ़ा,आप ही अच्छा बता पाएंगे.

>> सबकुछ उपलब्द्ध होते हुए भी बेरोजगारी,भूख,और अन्य समस्याओं का सामना पूर्वोत्तर के आम जान करते है,जबकि संसाधन का उपभोग घुसपैठियें कर रहें है. आपसी सौहार्द के बिगारने का मूल कारण भी घुसपैठ है. जो समय-समय पर हिंदी भाषियों पर दोष डालकर उनकी हत्या कर अपना उल्लू सीधा कर लेते है. सरकार जाँच एजेंसियां बनती रह जाती है.

ये कुछ उदाहरण मात्र है. हकीकत और भी बहुत कुछ कहता है.जो कभी सुर्ख़ियों में नहीं आता.
दोष किसका है ये बताने की जरुरत नहीं है. लेकिन एसे स्थिति में हम सब की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है उसको ना भूलते हुए मानवता के नाते औरो की समस्याओं को चिंतन में लाना भी एक जिम्मेदारी व देश भक्ति है इसे नहीं भूलना चाहिए.

राजीव पाठक
पूर्वोत्तर भारत

3 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदी के अच्छे ब्लॉगों को प्रतिष्ठित करने की श्रृंखला में कल आपके ब्लॉग का समादरण पोर्टल www.srijangatha.com पर हुआ है . बधाई ।

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  2. महोदय, निसन्देह आपका यह प्रयास सराहनीय है। हमारे लायक कोई सेवा हो तो बताएँ। अपका सहयोग कर हमें अत्यंत प्रसन्नता होगी।

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