कुछ लोग मुझ से आज-कल सवाल कर रहे है कि आप पूर्वोत्तर पर ही क्यों लिखते है? क्या पूर्वोत्तर में सचमुच इतनी समस्या है? इन समस्याओं का कोई हाल नहीं है क्या? कुछ सवाल डराने वाले पूछे गए है मसलन, आप इस प्रकार उग्रवादियों के नाम लेकर लिखते है तो आप के ऊपर भी खतरा आ सकता है क्या? इसी प्रकार कुछ अच्छे-बुरे और धमकी भरे सलाह भी दिए गए है. यथा आप को सुरक्षित रहना है तो इस प्रकार सरकार और उग्रवादियों के रिश्ते आप ना जोड़े.ये सभी प्रतिक्रिया मुझे मेल से ही मिला है.ये सभी सज्जन निश्चचय ही साधुवाद के पात्र है जिनके कृपा से मै अपने ब्लॉग लेखन को सायद और गति दे पा रहा हूँ.और मुझ जैसे एक विद्यार्थी को नई उर्जा मिला है.मै उन लोगों के कई प्रश्न का जबाब दूँ,उससे पूर्व उन कई मार्गदर्शकों के प्रति ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ,जिन्होंने मुझे धमकी का जवाब लेखनी से ही देने कि सलाह दी है.
मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनितिक विज्ञान में स्नातक करने के पश्चात वर्त्तमान में पत्रकारिता में स्नातकोत्तर कर रहा हूँ.स्नातक में पढ़ते हुए भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र मेरे रूचि का विषय बना और स्नातक कि पढाई ख़त्म होते ही मै दिल्ली से नार्थ-ईस्ट के लिए आ गया. मेरे अंदर की स्वाभाविक उत्कंठा मुझे यहाँ के कला-संस्कृति,सामाजिक परिवेश,आर्थिक स्थिति,राजनैतिक हकीकत, और दिन प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले समस्याओं के सच्चाई को जानने और उसे भारत के अन्य भागो तक पहुचाने के लिए प्रेरित करता है. मै वही लिखता हूँ जो यहाँ की वास्तविकता है. लेकिन ये बातें उन लोगो को हजम नहीं होती है जिनकी रोटी इन्ही समस्याओं से सुलगते ताप पर सिकती है. लेकिन इन सभी सवालों के लिए मेरा जवाब एक ही है. मै ये सब कुछ सिर्फ इसलिए कर रहा हूँ क्यों कि ......पूर्वोत्तर कटता जा रहा है. साहब कोई तर्क मांगे तो एक-दो नहीं अनगिनत तर्क है भारत के मूल धारा से पूर्वोत्तर को विलग करने के षड़यंत्र की.
आप भली-भांति जानते होंगे की अरुणाचल प्रदेश पर चीन अपनी सभी कोशिशे करता रहता है. उसे भारत के मूल धारा से काटने हेतु. नागालैंड और मिजोरम के मूल पहचान ख़त्म करने की विदेशी साजिस आज भी जरी है.मणिपुर की स्थिति लगातार चिंताजनक है.असम का अधिकांश भाग बंगला देशी घुसपैठियों के अड्डे बन गए है.मेघालय में मूल आदिवाशियों को ही आपस में लड़वाकर षड्यंत्रकारी अपनी योजना में सफल हो रहे है.त्रिपुरा में नक्सलियों की गुंडागर्दी कोई नई बात नहीं है.ये स्थिति है पूरे नार्थ-ईस्ट की.लेकिन इन समस्याओ की जड़े यहाँ से हजारो कोस दूर है.इसके भी पुख्ता प्रमाण है.
आपको सायद ज्ञात हो कि अमेरिका और चीन जैसे देश उरे भारत के लिए अलग विदेश नीति बनाते है और पूर्वोत्तर भारत के लिए अलग.जैसे जम्मू-कश्मीर के मामले में पाकिस्तान का रवैया है. अमेरिका के ह्वईट हॉउस में स्पेशल नोर्थ-ईस्ट विषय के जानकर बिठाये गए है.और साथ में पूरी टीम इसपर काम करती है.लाखो डालर वार्षिक सेवा के नाम पर नार्थ-ईस्ट में भेजा जाता है.अब जरा सोचिये कि अमेरिका को भारत के किसी एक हिस्से कि इतनी चिंता क्यों है? जवाब, अपने अनुरूप भारत में ही भारत विरोधी ताकतों को खड़ा करना.
इस प्रकार के छल को पूर्वोत्तर के भोले भाले लोग समझ नहीं पाते है.लेकिन परिणाम ये होता है कि महीने के तीस दिन में बीस दिन दिन पूर्वोत्तर का कोई ना कोई हिस्सा उग्रवादियों द्वारा बंद रहता है.स्कूलों में महीने में आधी कक्षाएं ही हो पाती है.सामानों के दम सामान्य से दोगुना तक रहता है. क्या इन समस्याओं से नई पीढ़ी का सृजन प्रभावित नहीं होता? क्या इससे मानव अधिकारों का हनन नहीं होता? लम्बे समय तक एसी स्थिति में रहकर किसी व्यक्ति का सर्वांगीं विकास हो सकता है क्या? ये स्थिति सामान्य नहीं है.और इसी लिए मेरा आँखों देखी लोगों तक पहुचना कर्त्तव्य बनता है.और यही मै कर रहा हूँ.
राजीव पाठक
पूर्वोत्तर भारत
मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनितिक विज्ञान में स्नातक करने के पश्चात वर्त्तमान में पत्रकारिता में स्नातकोत्तर कर रहा हूँ.स्नातक में पढ़ते हुए भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र मेरे रूचि का विषय बना और स्नातक कि पढाई ख़त्म होते ही मै दिल्ली से नार्थ-ईस्ट के लिए आ गया. मेरे अंदर की स्वाभाविक उत्कंठा मुझे यहाँ के कला-संस्कृति,सामाजिक परिवेश,आर्थिक स्थिति,राजनैतिक हकीकत, और दिन प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले समस्याओं के सच्चाई को जानने और उसे भारत के अन्य भागो तक पहुचाने के लिए प्रेरित करता है. मै वही लिखता हूँ जो यहाँ की वास्तविकता है. लेकिन ये बातें उन लोगो को हजम नहीं होती है जिनकी रोटी इन्ही समस्याओं से सुलगते ताप पर सिकती है. लेकिन इन सभी सवालों के लिए मेरा जवाब एक ही है. मै ये सब कुछ सिर्फ इसलिए कर रहा हूँ क्यों कि ......पूर्वोत्तर कटता जा रहा है. साहब कोई तर्क मांगे तो एक-दो नहीं अनगिनत तर्क है भारत के मूल धारा से पूर्वोत्तर को विलग करने के षड़यंत्र की.
आपको सायद ज्ञात हो कि अमेरिका और चीन जैसे देश उरे भारत के लिए अलग विदेश नीति बनाते है और पूर्वोत्तर भारत के लिए अलग.जैसे जम्मू-कश्मीर के मामले में पाकिस्तान का रवैया है. अमेरिका के ह्वईट हॉउस में स्पेशल नोर्थ-ईस्ट विषय के जानकर बिठाये गए है.और साथ में पूरी टीम इसपर काम करती है.लाखो डालर वार्षिक सेवा के नाम पर नार्थ-ईस्ट में भेजा जाता है.अब जरा सोचिये कि अमेरिका को भारत के किसी एक हिस्से कि इतनी चिंता क्यों है? जवाब, अपने अनुरूप भारत में ही भारत विरोधी ताकतों को खड़ा करना.
इस प्रकार के छल को पूर्वोत्तर के भोले भाले लोग समझ नहीं पाते है.लेकिन परिणाम ये होता है कि महीने के तीस दिन में बीस दिन दिन पूर्वोत्तर का कोई ना कोई हिस्सा उग्रवादियों द्वारा बंद रहता है.स्कूलों में महीने में आधी कक्षाएं ही हो पाती है.सामानों के दम सामान्य से दोगुना तक रहता है. क्या इन समस्याओं से नई पीढ़ी का सृजन प्रभावित नहीं होता? क्या इससे मानव अधिकारों का हनन नहीं होता? लम्बे समय तक एसी स्थिति में रहकर किसी व्यक्ति का सर्वांगीं विकास हो सकता है क्या? ये स्थिति सामान्य नहीं है.और इसी लिए मेरा आँखों देखी लोगों तक पहुचना कर्त्तव्य बनता है.और यही मै कर रहा हूँ.
राजीव पाठक
पूर्वोत्तर भारत
यह सच है कि अरूणाचल के व अन्य सीमावर्ती राज्य की स्थिति चिंता जनक है..लेकिन यह सब क्यों हो रहा है....? यह जानना जरूरी है...वही सरकार ही इस का जवाब दे सकती है...जो सब से ज्यादा देश पर शासन करती रही है...। यदि इसे रोका ना गया तो हालात गंभीर होते जाएगें...
जवाब देंहटाएंमैं पूर्वोत्तर में रूचि तब से लेना लगा जब मैंने कुछ पूर्वोत्तर की लड़कियों के साथ काम किया. मुझे पता चला की वहां के अधिकांश लोग अपने आप को भारतीय नहीं मानते तथा उत्तर भारत या अन्य हिस्सों से आने वाले लोगों को इंडियन या भैया कहते हैं. इसका कारण जो मुझे समझ आया वो ये है की हम केवल दिल्ली और मुंबई को ही भारत मानते हैं या फिर UP और बिहार को, इसके अलावा ना तो हमें अधिकांश राज्यों की समस्याएं दिखती हैं ना ही लोग. जिसने उस हिस्से के लोगों को हमसे अलग किया हुआ है.
जवाब देंहटाएंApp bilkul sahi kahte hain. par yah hamare raajneta us taraf se aankh band karke baithe hain. kisi din pata chalega ki hindustan ke fir tukDe ho gaye
जवाब देंहटाएं:> आपकी रूचि पुर्वोत्तर में काम करने की हुई क्योंकि पूर्वोत्तर कटता जा रहा है !
जवाब देंहटाएं:> आपने लिखना शुरू किया क्योंकि पूर्वोत्तर कटता जा रहा है !
:> आपको धमकी भरे email मिले क्योंकि पूर्वोत्तर कटता जा रहा है !
:> आपका देश के लोगों ने साथ दिया क्योंकि पूर्वोत्तर कटता जा रहा है !
:> आपको नई उर्जा मिली क्योंकि क्योंकि पूर्वोत्तर कटता जा रहा है !
:> आपको ये षड़यंत्र समझ मैं आया क्योंकि क्योंकि पूर्वोत्तर कटता जा रहा है !
:> आप लिखते रहिये क्योंकि पूर्वोत्तर कटता जा रहा है !
:> आपके साथ सभी देशभक्त खड़े है क्योंकि पूर्वोत्तर कटता जा रहा है !