गुरुवार, 27 मई 2010

कुछ कहता है मणिपुर....!








जी हाँ,मणिपुर बहुत कुछ कहता है.अपने अतीत और शौर्य के बारे में,और बहुत कुछ कहना चाहता है अपने वर्त्तमान के बारे में.यही कारण है कि मै भी मणिपुर के इस दर्द को आप तक पहुचाने के लिए बारम्बार प्रेरित होता हूँ.मणिपुर का वैभवशाली इतिहास भारतीय इतिहास का वह पृष्ट है जहाँ वीर अर्जुन को भी झुकना पड़ा था.अपने धर्म पत्नी उलूपी को पाने हेतु.



महाभारत कालीन इन घटनाओं के सभी साक्ष्य आज भी यहाँ मौजूद है.आपको कृष्ण की अनन्य भक्ति यहाँ भी वैसी ही दिखेगी जैसी मथुरा और वृन्दाबन में दिखती है.बालाओ द्वारा रास की प्रस्तुति तो मणिपुर की पहचान ही बन गई है.सांस्कृतिक रूप से समृद्ध मणिपुर का भारत के समकालीन इतिहास में भी उतना ही महत्वपूर्ण स्थान है.सायद आप जानते होंगे की नेता जी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा स्वाधीन भारत का संकल्प लेते हुए मणिपुर के मोइरंग में ही पहली बार भारत का झंडा फहराया गया,लेकिन दुर्भाग्य यह है की हम मोइरंग पर गर्व ना करके अंग्रेज सैनिको के स्मृति और स्वागत के लिए बने इण्डिया गेट(दिल्ली) व गेटवे आफ इंडिया (मुंबई)पर गर्व करते है.



पूरे भारत में यदि आज भी गुरुकुल परंपरा अपने मूलरूप में चल रहा है तो वो मणिपुर ही है.जहाँ आज भी शास्त्र शिक्षा के साथ सस्त्र की शिक्षा भी अनिवार्य है.जिसका उत्तम उदहारण वह का थान्गता और थांग-यहुम-यान्न्बा जैसा आत्मा रक्षक युद्ध कला का जीवित होना है.इस युद्ध कला में लड़के और लड़कियां सामान्य रूप से प्रसिक्षित होती है,जिसका उपयोग सिर्फ आत्म रक्षा के लिए होता है.



ये मात्र कुछ एक उदहारण है मणिपुर के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वरुप को जानने में वर्षों का समय लग सकता है यदि आप इसे गंभीरता से जानना चाहे.यहाँ के लोग जब गर्वित होकर बताते है की शिव ने जब अपनी जटा खोली तो उससे जो मणि गिरे वही तो मणिपुर है.मै सोचता हूँ कि शिव के मणिपुर के वर्त्तमान दुर्दशा के लिए दोषी कौन है?

वास्तव में हम सभी इसके दोषी है.ये मानना पड़ेगा.ये अनुभव कुछ सबालों के आपके उत्तर से स्पष्ट हो जायेगा.

क्या दिल्ली-मुंबई में रहते हुए आप ने अपने पर्यटन में पूर्वोत्तर भारत घुमने की योजना बनाई?,क्या आपके दैनिक होने वाली चाय के साथ राजनितिक या देश के समस्याओं पर चर्चा में मणिपुर या पूर्वोत्तर की समस्याओं का जिक्र आता है?,क्या आप पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम उतने सहजता से याद रखते है जीतने दिल्ली,हरियाणा,बिहार,उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र या अन्य का रख पाते है? एसे अनेक प्रश्न है,यदि इसका उत्तर आपके लिए हाँ में है तो निश्चय ही भारत के जिम्मेदार नागरिक कहलाने पर आप भी गर्व कर सकते है,अन्यथा जिम्मेदार नागरिक होने का मतलब क्या हो ये सोचना चाहिए?

3 टिप्‍पणियां:

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  2. दैनिक जागरण ने अपने राष्ट्रीय संस्करण में इसे प्रकाशित किया है.निश्चय ही पूर्वोत्तर के तरफ लोगो के ध्यान आकर्षित करवाने हेतु जागरण साधुवाद के पात्र है.

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