सोमवार, 19 अप्रैल 2010

मणिपुर के उग्रवादी संगठन द्वारा सभी गैर मणिपुरी को 31 मई तक हर हाल में मणिपुर छोड़ देने की धमकी,क्यों बेखबर है सरकार?

सभी गैर मणिपुरी और खास कर हिंदी भाषियों को मणिपुर के एक उग्रवादी संगठन ने हर हाल में ३१ मई तक मणिपुर के सीमा क्षेत्र से बाहर चले जाने की धमकी दी है. ऐसा मणिपुर में पहली बार नहीं हुआ है,लेकिन इस बार दिए गए धमकी में सिर्फ हिंदी भाषी ही नहीं बल्कि सभी गैर मणिपुरी निशाने पर है.हालाँकि इस धमकी के बावजूद सभी सरकार के ओर सहायता की दृष्टी से देखते हुए अभी तक वहीं डर-डर कर जीने को मजबूर है.अच्छी बात यह भी है कि मणिपुर के आम लोग उग्रवादियों के इस फरमान की आलोचना कर रहे है,लेकिन वो स्वयं उग्रवादियों से लोहा लेने में असमर्थ है.अतः वो भी बेचारे बने बैठे है,की सरकार ही कुछ कर सकती है I
ज्ञात हो कि ये धमकी महीनो पहले दी गई है,और कई इलाकों में उग्रवादी गैर मणिपुरी को वहा से प्रतारित कर भगा चुके है.
पलायन लगातार जरी है.लेकिन केंद्र सरकार कि समर्थक मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार के लिए ये सायद कोई गंभीरता का विषय नहीं है और दुर्भाग्य से मिडिया भी एसे मामलों को अपने फायदा का विषय न समझते हुए जनता तक नहीं पहुचाती.
लेकिन सामान्य सा लगने वाला ये समस्या पुरे देश के भौगोलिक परिदृश्य को कभी भी बदल कर रख देगी.क्यों कि ये उग्रवादी सामान्य जन से नहीं बल्कि भारत विरोधी देशो द्वारा समर्थित है,जिसका एक मात्र उद्येश्य भारत में ही भारत विरोधी गतिविधियों को जन्म देना होता है.ताकि भारत आतंरिक मामलों में ही उलझा रहे और बाह्यय आक्रमणों द्वारा इसे परास्त किया जा सके.
दुर्भाग्य से भारत सरकार जिन दो क्षेत्र पूर्वोत्तर व जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च करती है वो सबसे असुरक्षित है.कारण स्पष्ट है कि अपनी उदार नीति और वोट को बचाए रखने के लालशा में एसे नीति बनते है.जिसका परिणाम उग्रवादियों को संरक्षण और जनता के भय के रूप में सामने आता है.
इस गंभीर समस्या पर सरकार को जल्द ही कोई ठोस कदम उठाना चाहिए और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ (मिडिया) को भी अपने राष्ट्र भक्ति का परिचय देना चाहिए.नहीं तो भारत के न जाने और कितने टुकड़े होंगे.

राजीव पाठक
पूर्वोत्तर भारत (गुवाहाटी)

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