जैसा कि आप सभी को विदित है,पिछले कई महीनो से मणिपुर में अशांति और भय का वातावरण बना हुआ है.येसा पहली बार तो नहीं हो रहा है,लेकिन स्थिति पहले से गंभीर जरुर है.कुछ मुठ्ठी भर उग्रवादियों ने सभी गैर मणिपुरी खासकर राष्ट्र भाषी लोगो को मणिपुर से बाहर चले जाने की धमकी दी हुई है.राज्य और केंद्र सरकार के पास अभी तक कई प्रार्थना पत्र एवं समस्या की वास्तविक स्थिति को लेकर प्रभावित लोग गए है.लेकिन इन समस्याओ को कितनी गंभीरता से लिया गया ये पिछले एक सप्ताह के स्थिति से स्पष्ट हो जाता है.
पिछले एक सप्ताह से मणिपुर को जाने वाली गुवाहाटी,दक्षिण असम या अरुणाचल से सभी यातायात के साधन बंद है.मणिपुर के अन्दर लगातार बंद से पेट्रोल दो सौ रुपये तक भी प्रयाप्त मात्र में नहीं मिल रहा है.सभी प्रकार के खाद्य सामग्री की अनुपलब्धता के कारण लोगो को दोगुने दामो पर भी जरुरी सामान नहीं मिल पा रहा है.बच्चो के लिए दूध और आवश्यक दवाइयों की भाड़ी कमी है.इन समस्याओं से मणिपुर के आम जनता भी परेशान है.वहीँ राज्य सरकार के कई फैसलों से गैर मणिपुरी कि समस्या और बढ़ गई है.
पिछले दिनों राज्य सरकार ने एक फैसला लिया कि तत्काल स्थिति के सामान्य होने तक किसी भी प्रकार के संपत्ति के खरीद फरोक्त की अनुमति नहीं दी जाएगी.इस फैसले के कारण वहां से पलायन कर रहे पंजाबी,मारवारी,उत्तर प्रदेश,और बिहार सहित सभी अन्य गैर मणिपुरी को लोगों को अपने संपत्ति या तो उग्रवादियों को मुफ्त देने पर रहे है या उसे कौड़ी के दाम बेचने पर वो मजबूर है.संपत्ति के खरिदगर उग्रवादी या सरकार के एसे मंत्री ही है जो अप्रत्यक्ष रूप से उग्रवादियों के साथ है.
लेकिन विडम्बना ये है कि समाचार पत्रों या खबरिया चैनलों के लिए ये समाचार टी.आर.पी. बढ़ाने वाला नहीं है इसलिए महत्वपूर्ण नहीं,और मणिपुर से जाकर लोग जंतर-मंतर पर धरना दे नहीं सकते,दिल्ली का चक्का जाम कर नहीं सकते इसलिए केंद्र सरकार के लिए ये कोई समस्या नहीं है.
देश के आम जनता तक ये समाचार पहुचे और जनता का शंख नाद हो ताकि केंद्र सरकार की कुम्भ्करनी नींद टूटे,इस प्रयाश में अपनी भूमिका सुनिश्चित करे और आप भी भारत को एक और विभाजन से बचाए.आपके सहायता की उम्मीद लिए आपके बंधू प्रतीक्षारत है.
राजीव पाठक
पूर्वोत्तर भारत
rajeevpathak@journalist.com
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गम्भीर मसला है.."
जवाब देंहटाएंbaat gambhir hai lekin aage - age sab jagah esa hona hai kyo ki bhaart ke log gahri neend me hai
जवाब देंहटाएंधिक्कार है मीडिया को और प्रशासन को....
जवाब देंहटाएंस्थिति को आम जनता तक यूं ही पहुंचाते रहें.
लेकिन विडम्बना ये है कि समाचार पत्रों या खबरिया चैनलों के लिए ये समाचार टी.आर.पी. बढ़ाने वाला नहीं है इसलिए महत्वपूर्ण नहीं,और मणिपुर से जाकर लोग जंतर-मंतर पर धरना दे नहीं सकते,दिल्ली का चक्का जाम कर नहीं सकते इसलिए केंद्र सरकार के लिए ये कोई समस्या नहीं है.
जवाब देंहटाएंजनमानस के दर्द को समझते हुए आवाज उठाने का आपका यह प्रयास सार्थक और प्रशंनीय है .... आम जनता को इस दिशा में प्रेरित करने की आज शख्त जरुरत है .. आशा है धीरे-धीरे इस दिशा में जनमानस जागरूक होगा और आपका प्रयास निरंतर बना रहेगा ...
ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत और बहुत शुभकामनाएँ
बहुत ही गंभीर समस्या है, सरकार ने तो आँखें मूंद रखी है, आपका स्वागत है ब्लॉगजगत में!
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